प्रदेश सरकार अब सीमांत क्षेत्रों में हेलीपैड का विकास करने जा रही है। इन स्थानों पर हेलीपैड के लिए जगह तो चिह्नित हैं, लेकिन अब इन्हें विस्तृत स्वरूप देने की तैयारी है। इसके लिए प्रदेश सरकार सेना का भी सहयोग लेगी। इसकी शुरुआत अगले वर्ष से की जाएगी। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तराखंड की सीमाएं चीन और नेपाल से लगती हैं। इसे देखते हुए राज्य के सीमांत और पर्वतीय क्षेत्रों में वैकल्पिक हेलीपैड के लिए स्थान चिह्नित किए गए हैं। इनका उपयोग सेना के साथ ही आपदा के दौरान त्वरित राहत व बचाव कार्यों में किया जा सकेगा। ऐसे में ये हेलीपैड न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए मददगार बन रहे हैं। सरकार इस समय प्रदेश के सुदूर क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। पर्यटन के नए गंतव्य विकसित किए जा रहे हैं। इन गंतव्यों तक पर्यटक आसानी से पहुंच सकें, इसके लिए सरकार हेली सेवाओं के विस्तार पर जोर दे रही है। इस समय प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के 102 और निजी क्षेत्र के 31 हेलीपैड स्थल चिह्नित हैं। इनका इस्तेमाल समय-समय पर किया भी जा रहा है। अब सरकार इन्हें चरणबद्ध तरीके से विकसित करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सेना का भी सहयोग लिया जाएगा। हेलीपैड के लिए चिह्नित स्थलों को विकसित करने से यहां न केवल आवागमन सुगम होगा, बल्कि स्थानीय व्यक्तियों को भी रोजगार मिल सकेगा। पर्यटक स्थल राष्ट्रीय व वैश्विक मानचित्र में अपनी जगह बना सकेंगे। सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे का कहना है कि प्रदेश में हेलीपैड विकसित करने से यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलने में भी मदद मिलेगी।
प्रदेश में चिह्नित सरकारी हेलीपैड
अल्मोड़ा-11
बागेश्वर – 05
चमोली- 11
चंपावत – 03
देहरादून- 07
हरिद्वार – 02
नैनीताल – 07
पौड़ी – 07
पिथौरागढ़- 16
रुद्रप्रयाग – 05
टिहरी- 07
यूएस नगर – 07
उत्तरकाशी – 14