मुख्यमंत्री धामी ने एक बार फिर रचा इतिहास। युवाओं की भी बन गए आस।

उत्तराखंड। राज्य के इतिहास में मुख्यमंत्री धामी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। पेपर
लीक मामले की सीबीआई जांच की संतुति करने जब मुख्यमंत्री धामी खुद आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुंचे । जिसकी चर्चा पूरे उत्तराखंड के अलावा दिल्ली तक है ।
आजतक उत्तराखंड के छात्र आंदोलनों का भी इतिहास है कि कोई भी मुख्यमंत्री कभी छात्रों के बीच नहीं गया ,उनसे बात करने नहीं गया लेकिन मुख्यमंत्री धामी ऐसा करने वाले भी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं।
यूं तो मुख्यमंत्री धामी के नाम मुख्यमंत्री बनने से लेकर अभी तक कई उपलब्धियां जुड़ी हैं लेकिन छात्र आंदोलन में पहुंचकर पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की संतुति करने वाला कदम ऐतिहासिक बन गया है।
पूर्व की सरकारों में आंदोलनकारीयों पर न सिर्फ लाठियां बरसाई जाती थी बल्कि उनके मामलों की कोई सुनवाई भी नहीं होती थी वहीं मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं से सीधा संवाद स्थापित किया है।

देहरादून के कोचिंग में पढ़ रही अंजली ने बताया कि सीएम धामी ने न सिर्फ हम युवाओं को न्याय दिलवाने की दिशा में कदम बढ़ाया है बल्कि एक अभिवाहक की तरह युवाओं बीच जाकर युवाओं का भरोसा भी जीता है।

चारों खाने चित्त हुए विरोधी ।धामी के इस कदम की विपक्षी भी कर रहे सराहना।

मुख्यमंत्री धामी ने जब से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है तब से अभी तक के कार्यकाल को देखें तो कई बार विरोधियों ने कई ताने बाने भी बुने लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। अब विपक्षी भी धामी के सीबीआई जांच के फैसले को उचित कदम बता रहे हैं।
आपको बता दें कि पेपरलीक की सर्वाधिक घटनाएं कांग्रेस के कार्यकाल में हरीश रावत सरकार के दौरान हुई थी लेकिन खुद को उत्तराखंड का हितैषी बताने वाले हरीश रावत ने पेपरलीक करने वालों की जांच तो छोड़िए बल्कि आयोग की कुर्सी पर बैठे लोगों को शह देने का काम किया। 2015 में ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्थापना हुई थी। जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे। लेकिन इसके बाद किसी भी मुख्यमंत्री की हिम्मत नहीं हुई कि इन भर्ती परीक्षाओं की जांच करवाए। पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद न सिर्फ इन परीक्षाओं के नकल के मामले पकड़े गए बल्कि सख्त नकल रोधी कानून भी लाया गया जिसके बाद अभी तक 25 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरियों का लाभ मिल पाया।

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