चॉकलेट उत्पादों पर हुए अध्ययन में सात श्रेणियों के करीब 48 उत्पादों की जांच की गई जिसमें डार्क चॉकलेट, मिल्क चॉकलेट बार, कोको पाउडर, चॉकलेट चिप्स आदि शामिल थे. इनसे से एक तिहाई उत्पादों में सीसा और कैडियम जैसी धातुओं की मात्राओं का स्तर खतरनाक स्तर पर पाया. इसके लिए एक बड़ी कंपनी को निर्देश भी दिए गए हैं.
चॉकलेट दुनिया में बहुत लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक है. कई देशों में तो यह मिठाई का ही विकल्प बन गया है. बल्कि ऐसे देश के लोग तो मिठाई को चॉकलेट के विकल्प के तौर पर देखते हैं. चॉकलेट का बहुत बड़ा व्यापार है. ऐसे में चॉकलेट की गुणवत्ता के लोगों की संवेदनशलीता बहुत जरूरी है. चॉकलेट पर हुए एक हालिया अध्ययन के नतीजों ने दुनिया के लोगों को चिंता में डालने का काम किया है. इस अध्ययन में चार दर्जन चॉकलेट उत्पादों में हानिकारक लेड औक कैडमियम की मात्रा की पड़ताल कर पाया गया कि इनमें से एक तिहाई में इन पदार्थों को स्तर खतरनाक तौर पर अधिक पाए गए हैं.
कन्ज्यूमर रिपोर्ट्स नाम की एक कैर लाभकारी उपभोक्ता पैरवी समूह के इस अध्ययन में परीक्षण किए गए चॉकलेट उत्पादों में से एक तिहाई खतरनाक स्तर के सीसे और कैडमियम के स्तर पाए गए हैं. इतना ही नहीं अमेरिका की सबसे बड़ी चॉकलेट निर्माता कंपनियों में से एक हर्शे तक को इन भारी धातुओं की मात्रा में कटौती करने को कहा गया है.
इस अध्यन में सात श्रेणियों के 48 चॉकलेट उत्पादों का परीक्षण किया गया जिसमें डॉर्क चॉकलेट बार, कोकोआ पाउडर, चॉकलेट चिप्स एंड मिक्सेस, ब्राउनीज और चॉकलेट केक तक शामिल हैं. इनमें से 16 उत्पादों में पाया गया कि सीसा और कैडमियम या दोनों की ही मात्रा का स्तर बहुत ही खतरनाक है.
अधिक धातु वाले उत्पादों में वालमार्ट की डॉर्क चॉकलेट बार और हॉट चॉकलेट मिक्स के अलावा, ड्रोस्ते और हर्शे का कोका पाउजर, टारगेट के सेमी स्वीट चॉकलेट, ट्रेडर जो, नेस्ले, और स्टारबक्स की हॉट चॉकलेट मिक्स जैसे उत्पाद शामिल हैं तो वहीं मिल्क चॉकलेट बार ही ऐसा उत्पाद था जिसमें अधिक धातु की मात्रा नहीं पाई गई.
सीसे और कैडमियम का लंबे समय तक सामना तक गंभीर सेहत संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती हैं. इसमें तंत्रिका तंत्र संबंधी, प्रतिरोधी तंत्र की कमजोरी, किडनी को होने वाले नुकसान आदि जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. गर्भवती महिलाओं और बच्चों में यह जोखिम अधिक होता है. इसके बाद भी अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर चॉकलेट इनका बहुत ही कम मात्रा स्रोत है.
यह अध्ययन पिछले साल दिसंबर में हुए इसी तरह के अध्ययन के बाद आया है जिसमें जांच किए गए 28 में से 23 उत्पादों में अधिक सीसा या कैडमियम धातु पाई गई थी. इसमें हर्शे और लिली के स्कैरफन बर्गर ब्रांड शामिल थे. हर्शे कंपनी से अनुरोध किया गया है कि वे अपने द्वारा बनाई जा रही चॉकलेट को सुरक्षित स्तर पर लाए.
खुद हर्शे के चीफ फाइनेशियल ऑफिसर स्टीव वोस्कूइल ने कहा है कि कंपनी अपने उत्पादों में सीसे और कैडमियम कम करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि ये उत्पाद मिट्टी में प्राकृतिक तौर पर मिलते हैं लेकिन वे इन्हें पूरी तरह से हटाना चाहेंगे. वहीं नेशनल कॉन्फेक्शनर्स एसोसिएशन ने हर्शे की ओर से आश्वसन दिया है कि चॉकलेट और कोको खाने के लिहाज से सुरक्षित हैं जिन्हें सदियों से खाया जा रहा है.

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