धामी सरकार के सख्त एक्शन के बाद पेपरलीक मामले में 24 घंटे में खुलासे से लेकर ताबड़तोड़ एक्शन। बावजूद इसके देहरादून परेड ग्राउंड आंदोलन में छात्रों की आड में सेकी जा रही राजनीतिक रोटियां।


पेपरलीक मामला–: इस पूरे प्रकरण की लड़ाई का केंद्र बिंदु कुछ लोगों द्वारा सिर्फ मुख्यमंत्री धामी को बनाया जा रहा है जबकि मामला uksssc से संबंधित था । परीक्षा को पारदर्शी तरीके से करने की जिम्मेदारी आयोग की थी।
कुछ लोगों द्वारा अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए अब इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जबरन कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जा रही है जबकि धामी सरकार द्वारा ही प्रदेश में सख्त नकलरोधी कानून लाया गया है और उनके कार्यकाल में 25 हजार युवाओं को रोजगार दिया गया है।

वर्तमान पेपरआउट मामले में भी मुख्य अभियुक्त खालिद को जेल भेजा जा चुका है

साथ ही एक और बड़ी कार्यवाही हो गई है जिसमें पेपर आउट प्रकरण में प्रश्न पत्र हल करके भेजने वाली प्रोफेसर सुमन को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को गलत नियत से पेपर लीक में भूमिका निभाने को लेकर प्राथमिक दृष्ट्या आरोपी पाया गया है। सेक्टर मजिस्ट्रेट को भी सस्पेंड कर एसआईटी जांच भी गठित की जा चुकी है।

ऐसे में अब कुछ लोगों द्वारा इस मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है जबकि पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही सारी कड़ियां जोड़ ली थी। इससे साफ हो गया है कि परीक्षा से पहले कोई भी प्रश्नपत्र बाहर नहीं आया था।

अब मुख्य सवाल उन युवाओं का है जो पूरी तैयारी के साथ इस परीक्षा में उतरे थे और सफल अभ्यर्थियों की लिस्ट में उनका नाम होगा । इस बात को अधिकांश छात्र स्वीकार भी कर चुके हैं कि परीक्षा निरस्त करना यानि परीक्षा को एक डेढ़ साल पीछे ले जाने जैसा है। जो अभ्यर्थी अपने चयन को लेकर आश्वस्त हैं उनकी भी चिंताएं वाजिब हैं और वो सभी भी गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों के छात्र हैं।

पेपर आउट प्रकरण का धामी सरकार द्वारा 24 घंटे में खुलासा किया गया और अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने का काम किया गया।
अब कुछ राजनीतिक लोगों द्वारा खुद की राजनीति जिंदा रखने के लिए युवाओं को भड़काया जा रहा है।

अब देहरादून के परेड ग्राउंड का आंदोलन स्थल सिर्फ गला साफ करने वालों का अड्डा बनकर रह गया है। यहां दिनभर माइक लेकर राहुल गांधी द्वारा दिया गए “गद्दी छोड़”नारे को उनके समर्थकों द्वारा दोहराया जा रहा है।
आपको बता दें कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होने के बाबजूद भी मुख्यमंत्री को टारगेट करने वाले लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम कर रहे हैं। जिनका चूल्हा फिलहाल देहरादून के परेड ग्राउंड में जल रहा है जहां ये भी रणनीति बनाई जा रही है कि इस आंदोलन को 2026 तक जिंदा रखना है ताकि चुनाव में ये काम आए । इस आंदोलन के लिए फंडिंग जमा होनी भी शुरू हो गई है जो अधिकांश इनकी जेबों में ही जानी है । जो समझदार युवा हैं वो इनसे किनारा करके अपनी अन्य परीक्षाओं की तैयारियों में जुट चुके हैं क्योंकि परेड ग्राउंड में अब आंदोलन के नाम पर सिर्फ भाषण बाजी और माइक को लेकर छीनाझपटी हो रही है।

दरअसल उत्तराखंड की जनता पढ़ी लिखी और समझदार है जो राष्ट्रवाद , विकासवाद और सनातनवाद के साथ चलती है।
वहीं कुछ लोगों द्वारा फैलाए जा रहे एजेंडे से जबरदस्ती भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है जिससे न सिर्फ उत्तराखंड का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है बल्कि युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

Spread the love