Why did Arab countries get angry with Joe Biden?
गाजा पट्टी में अस्पताल पर हमले के बाद सारे समीकरण एक बार फिर उलटते नजर आए। अमेरिका ने जहां एक तरफ अस्पताल पर हमले को लेकर दुख जताया वहीं राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल के दौरे पर पहुंच गए। जो बाइडेन पहले जॉर्डन भी जाने वाले थे लेकिन अस्पताल पर मिसाइल गिरने और सैकड़ों लोगों मौत के बाद अरब देशों ने बातचीत से हाथ पीछे खींच लिया। अमेरिका के रुख से सऊदी अरब, एजिप्ट समेत अन्य अरब देशों में नाराजगी साफ नजर आ रही है। दरअसल इजरायल पहुंचते ही जो बाइडेन ने इजरायल को क्लीन चिट देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अस्पताल पर हमले के पीछे गाजा के आतंकी संगठनों का हाथ है।
हमास ने आरोप लगाया था कि इजरायल के मिसाइल हमले की वजह से अस्पताल में लोगों की जान गई है. वहीं इजरायल इसके लिए गाजा के ही इस्लामिक जिहाद आतंकी संगठन को दोषी ठहरा रहा था। इसी बीच जो बाइडेन को झटका लगा और उनको जॉर्डन का दौरान रद्द करना पड़ा। इस बैठक में इराक, एजिप्ट्, फिलिस्तीन, सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देश शामिल होने वाले थे। अमेरिका चाहता था कि इजरायल के साथ खड़े होने के बावजूद वह गाजा के आम लोगों के साथ संवेदना जारी रखे। इसीलिए जॉर्डन में अरब देशों के सम्मेलन का प्लान बनाया गया था। इसमें गाजा के लोगों को मदद देने को लेकर चर्चा होनी थी जो कि नहीं हो पाई।
इजरायल के खिलाफ अरब देश, किधर हैं जो बाइडेन (Arab countries against Israel, where is Joe Biden)
जो बाइडेन ने खुलकर इजरायल का साथ देने की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा कि हमास का पूरी तरह सफाया जरूरी है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह इजरायल का कहां तक साथ देंगे। कुल मिलाकर मामला इजरायल और ईरान पर अटका हुआ है। अगर ईरान हमास की तरफ से खुलकर सामाने आता है और कोई कदम उठाता है तो अमेरिका इजारयल की ओर से खुलकर मोर्चा खोलेगा। वहीं अमेरिका यह नहीं चाहता है कि हाल ही में अरब के कुछ देशों से सुधरे संबंध खराब हों। इसलिए वह गाजा पर इजरायली हमले को सही नहीं ठहरा रहा है।
दुनिया को नई टेंशन (New tension for the world)
अरब देशों के पास दुनिया के सबसे ज्यादा तेल के भंडार हैं। कई विकसित देश भी तेल के लिए अरब देशों पर निर्भर हैं। हमास और इजरायल के युद्ध के बीच प्रतिबंधों का दौर जारी हो गया है। अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में ईरान और अन्य अरब देश भी इजरायल के साथ खड़े होने वाले देशों के खिलाफ ऐक्शन ले सकते हैं। ईरान ने मुस्लिम देशों से इजरायल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसके अलावा ओआईसी की बैठक में भी प्रतिबंध का मुद्दा उठाया गया। अगर यह युद्ध लंबे समय तक जारी रहता है तो यूक्रेन और रूस युद्ध के बाद इसका भी घातक असर दुनिया पर पड़ेगा। खास तौर पर आर्थिक गतिविधियों पर असर देखने को मिलेगा। अरब देशों और अमेरिका बीच तनाव बढ़ने से भी दुनिया के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।

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