अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. महाशक्ति के अराधना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है.नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों के दर्शन और पूजन के साथ डांडिया और गरबा भी खेला जाता है.गुजरात के इस लोक नृत्य का सीधा कनेक्शन मां दुर्गा से है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में इस नृत्य साधना से भक्त देवी को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया की गरबा या डांडिया नृत्य अलग- अलग तरीके से खेला जाता है. डांडिया नृत्य में जब भक्त डांडिया खेलते है जो इससे देवी की आकृति का ध्यान किया जाता है.जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
नृत्य से पहले ऐसे करते हैं देवी का ध्यान (This is how we meditate on the Goddess before dancing.)
डांडिया या गरबा नृत्य से पहले देवी की पूजा होती है. इसके बाद देवी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने मिट्टी के कलश में छेद करके दीप जलाया जाता है. फिर उसके बाद उसमे चांदी का सिक्का भी डालते हैं. इसी दीप की हल्की रोशनी में इस नृत्य को भक्त करते है.
पॉजिटिव ऊर्जा का होता है संचार (Positive energy is transmitted)
ऐसा कहा जाता है कि डांडिया नृत्य के समय डांडिया लड़ने से जो आवाज उत्पन्न होती है उससे पॉजिटिव एनर्जी आती है. इसके अलावा जीवन की नकारात्मकता भी समाप्त हो जाती है. ठीक ऐसे में गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं तीन तालियों का प्रयोग करती है,जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
पौराणिक है परम्परा (tradition is mythological)
नवरात्रि में डांडिया या गरबा खेलना कोई नई परम्परा नहीं है.पौराणिक समय से ही नवरात्र के नौ दिनों में इसे खेला जाता है.हालांकि इसका इतिहास राजस्थान और गुजरात से जुड़ा है लेकिन देवी के भक्त पूरे देश में है इसलिए नवरात्रि में नृत्य का आयोजन सामूहिक तौर पर देशभर में होता है.

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