आखिर क्यों पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की चारों तरफ हो रही है किरकिरी।विवादित बयानों और कार्यों की वजह से पहले गँवा चुके सीएम की कुर्सी।

उत्तराखंड। हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र रावत द्वारा खनन पर दिए बयान के बाद उनकी खूब किरकिरी हो रही है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर भी लोग त्रिवेंद्र रावत पर भड़ास निकाल रहे हैं। त्रिवेंद्र रावत पूर्व में भी अपने बयानों और कार्यों की वजह से अपनी सीएम की कुर्सी गंवा चुके हैं।

दरअसल हाल ही में मीडिया में दिए गए एक बयान की वजह से त्रिवेंद्र रावत की खासी आलोचनाएं भी हो रही हैं।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में खनन को लेकर पुष्कर सिंह धामी सरकार ने पारदर्शी नीति बनाई है जिसकी वजह से खनन माफियाओं की कमर टूट गई है।

वहीं हाल ही में त्रिवेंद्र रावत द्वारा संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाया गया था जिसपर आंकड़ों और तथ्यों के साथ एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि पहली बार उत्तराखंड में खनन के क्षेत्र में भारी राजस्व प्राप्त हो रहा है और सारा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया गया है जिसकी वजह से अवैध खनन पर अंकुश लगा है ।
वहीं अधिकारी के आंकड़ों और तथ्यों पर जब मीडिया द्वारा त्रिवेंद्र रावत से काउंटर क्वेश्चन किया गया तो उन्होंने अपनी तुलना शेर से और अधिकारी की तुलना कुत्तों से करते हुए कहा कि शेर कभी कुत्तों का शिकार नहीं करते। इसके बाद त्रिवेंद्र रावत के इस बयान की कड़ी आलोचना की जा रही है। *पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुधांशु सिंह का कहना है कि उनके इस बयान में अधिकारियों के प्रति खराब दृष्टिकोण झलकता है। वहीं बयान के दौरान उनके हाव भाव में भी अंहकार झलकता नजर आ रहा है। सीएम रहते हुए उतरा बहुगुणा शिक्षिका के मामले में भी सीएम रहते हुए त्रिवेंद्र की काफी आलोचनाएं हुई थी।*

आपको बता दें कि कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी भाषा किसी जिम्मेदार पद पर रहते हुए नहीं बोलनी चाहिए । उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र रावत ने गलत बयानबाजी की है।

अब त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ भाजपा संगठन के लोग भी खड़े हो गए हैं। सभी उनके बयान को लेकर आपत्ति जता रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि त्रिवेंद्र रावत राजनीतिक द्वेषपूर्ण भावना से इस तरह की बयानबाजी करके धामी सरकार पर काउंटर करने की कोशिश कर रहे हैं जोकि उनके राजनीतिक भविष्य के लिए रोड़ा बन सकता है।
राज्य के विकास के लिए स्थित सरकार आवश्यक होती है लेकिन उत्तराखंड में कुछ लोग पुराने ढर्रे पर चलकर सरकार के खिलाफ आधारहीन बयानबाजी करते हैं ।

आपको बता दें कि पुष्कर सिंह धामी सरकार में ही पहली बार नकलरोधी कानून बना , भू कानून बना और यूसीसी कानून बना । जिसको लेकर केंद्र तक धामी की पीठ थपथपाई जा रही है।

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