उत्तराखंड के भू-कानून में हिमाचल की तर्ज पर व्यवस्था बनाई जाएगी। विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों के निवासी भूमि और आवास विहीन न हों, इसके लिए वर्तमान भू-कानून में संशोधन होगा। भू-कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए भूमि को औद्योगिक समेत विभिन्न प्रयोजनों के लिए लीज पर देने की संस्तुति सरकार से की जाएगी।
सितंबर के पहले सप्ताह में समिति सौंपेगी रिपोर्ट:
भू-कानून के परीक्षण व अध्ययन को गठित पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट को मंगलवार को अंतिम रूप दे दिया। सप्ताहभर में इसका मुद्रण व अन्य आवश्यक कार्य संपादित किया जाएगा। अगले माह सितंबर के पहले सप्ताह में समिति अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप देगी।
प्रदेश में वर्तमान भू-कानून में दी गई रियायतों का दुरुपयोग होने और भूमि की अनाप-शनाप खरीद के विरोध में इंटरनेट पर अभियान तेज हो गया था।
भू-कानून में संशोधन की मांग जोर पकडऩे के बाद बीते वर्ष सरकार ने यह उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। समिति ने भू-कानून के संबंध में आम जनता, स्वयंसेवी संस्थाओं समेत प्रबुद्ध जनों से सुझाव मांगे थे। 160 से अधिक सुझाव समिति को प्राप्त हुए।
इसके अतिरिक्त समिति ने सभी जिलों से भू-कानून में उद्योगों समेत विभिन्न प्रयोजनों के लिए दी गई छूट के दुरुपयोग के संबंध में जिलों से रिपोर्ट तलब की थी।
इस रिपोर्ट में भूमि खरीद में दी गई छूट का दुरुपयोग होने और निर्धारित प्रयोजन के इतर भूमि का उपयोग करने के मामले सामने आए थे। विशेष रूप से औद्योगिक एवं अन्य आर्थिक, शैक्षिक गतिविधियों के लिए ली गई भूमि की अनाप-शनाप तरीके से बिक्री का जिक्र जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
