मरहम या मलहम शब्द आपने जरूर सुना होगा. जब भी किसी को चोट लगती है तो लोग सलाह देते हैं कि मरहम लगा दो. अगर आप ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तो ज्यादातर लोग मलहम शब्द का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपको दोनों शब्दों का अर्थ पता है. आखिर ये दोनों शब्द आए कहां से? इनमें से सही शब्द कौन सा है? ऑनलाइन प्लेटफार्म कोरा पर यही सवाल पूछा गया. अजबगजब नॉलेज सीरीज में आइए जानते हैं, इसका सही जवाब.
एक यूजर ने बताया कि मरहम शब्द “रहम” यानी दया से बना है. इसका मतलब होता है दया या दयालुता. इस शब्द का उपयोग अक्सर भावुकता और करुणा से भरी हुई स्थितियों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है. जबकि मलहम शब्द “लहम” यानी मांस से बना हुआ है. इसका मतलब है “खारिश या जलन”. इस शब्द का उपयोग अक्सर त्वचा विकारों, जलन, या दर्द के संबंध में किया जाता है. लेकिन आज के परिवेष में दोनों शब्दों का उपयोग विभिन्न चिकित्सा और सौंदर्य संबंधी समस्याओं का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है. शब्दों के अर्थ विशिष्ट संदर्भ और प्रयोग के आधार पर बदल भी सकते हैं.
लेकिन क्या यही सच है? (But is this true)
लेकिन क्या यही सच है? डिक्शनरी के अनुसार, मरहम घाव पर लगाने के लिए औषधि का लेप के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है. जो इस घाव को दुरुस्त करता हो. मलहम का मतलब भी इसी से निकाला जाता है. लेकिन भाषाविदों के मुताबिक, मरहम एक अरबी शब्द है. जो फारसी से होते हुए हिन्दी में दाखिल हुआ और यहां मरहम, मल्हम और मल्लम जैसे रूपों में खूब इस्तेमाल होता है. लेकिन मलहम खुद कोई शब्द नहीं है. मरहम को ही बातचीत की शैली में मलहम के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह सच है कि मरहम म+रहम से मिलकर बना है, जिसका मतलब दया और करुणा का भाव से है.

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