बड़ा विश्लेषण–: क्रिकेट पिच के अलावा राजनीतिक पिच पर भी धामी की धुंआधार बैटिंग।

 

 

देहरादून। उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से राजनीतिक उठापटक चल रही है। आरोप प्रत्यारोपों को लेकर कभी तीखे जुबानी बम फूट रहे हैं तो कभी जुबानी तीर से भावनाओं का शिकार हो रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सभी से अपील करते हुए कहा था कि उत्तराखंड को आगे बढ़ाने पर चर्चा होनी चाहिए।

उत्तराखंड के बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि पहाड़ी मैदानी जैसे छोटे और छिछोरे विवादो से प्रदेश कभी आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि देश प्रथम का भाव ही हमें भारतीय होने पर गर्व करवाता है। इन निरर्थक विवादों की वजह से प्रदेश का माहौल खराब करने वालों को भी सख्त हिदायद दे दी गई है।

आपको बता दें कि हालिया राजनीतिक घटनाक्रम देखें तो पुष्कर सिंह धामी सरकार ने ही मंत्री को पद से इस्तीफा दिलवाकर एक संदेश भी दिया कि जो भी जनता की भावनाएं होंगी उनका सदैव खयाल रखा जाएगा और उसी के अनुरूप फैसले भी लिए जाएंगे।

पुष्कर सिंह धामी के पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल पर नजर दौड़ाएं तो छोटे से कार्यकाल में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं वो भी तब जब प्रदेश में परिस्थितियां अनुकूल नहीं थी । शुरुवाती दौर में ही पेपरलीक जैसा गंभीर प्रकरण सामने था । ऐसे में धामी सरकार ने ही न सिर्फ नकलरोधी कानून बनाया बल्कि माफिया को जेल भी भिजवाया।
वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया में लिखते हैं कि कुछ माफिया तो जेल से छूट भी गए । आपको बता दें कि न्यायिक प्रक्रिया हमारे देश का मजबूत स्तंभ है जिसके द्वारा आरोपियों को बेल अथवा जेल मिलती है।
धामी सरकार ने चारधाम बोर्ड को भंग करते हुए यात्रा को मूल स्वरूप में स्थापित किया।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष ने राजनितिक द्वेष के कारण ही केदारनाथ उपचुनाव में यात्रा कुमाऊं डायवर्ट करने जैसा झूठ फैलाने की कोशिश की थी लेकिन उसका कोई असर जनता में देखने को नहीं मिला।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान भी विपक्ष द्वारा सोशल मीडिया पर कई तरह के भ्रम फैलाने की कोशिश की गई जिसकी वजह से पहाड़ी मैदानी जैसे विवादित और निरर्थक विवाद पैदा हुए।
उनका कहना है कि विपक्ष के पास साफ तौर पर ठोस मुद्दों का अभाव नजर आ रहा है और पहाड़ी मैदानी विवाद पर लोगों का ध्यान भटका रहा है ।

खनन के प्रकरण में भी सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि वैध खनन प्रक्रिया ऑनलाइन व्यवस्था की वजह से पूरी तरह पारदर्शी बनाई गई है जिसकी वजह से अब प्रतिवर्ष करोड़ो रुपए का राजस्व भी बढ़ रहा है। वहीं माना जा रहा है कि अवैध खनन पर धामी सरकार जल्द एक कठोर कानून ला सकती है ।
पिछले तीन वर्षों में कई ऐतिहासिक फैसले अपनी सरकार के नाम करने वाले धामी अबतक के सबसे यंगस्टर चीफ मिनिस्टर हैं।
आपको बता दें कि राजनीतिक पिच पर भी धामी लगातार धुंआधार बैटिंग करते नजर आ रहे हैं। जब भी प्रदेश में कोई प्रकरण आते हैं तो धामी खुद मोर्चा संभालते हुए एक्शन मोड़ में नजर आते हैं ।

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