एक राज्य जहां शिक्षा गुणवत्ता सुधारने हेतु deled प्रशिक्षण को डाइट संस्थानों से ही करवाने का निर्णय लिया गया हो।
प्राइवेट संस्थानों को deled प्रशिक्षण की अनुमति नही दी गई ताकि प्राथमिक विद्यालयों में उच्च गुणवत्ता शिक्षा दी जा सके।
लेकिन पीठ पीछे दूसरे राज्यों से deled को भी समान वरीयता दी गई।।
जब वेकेंसी की बात आई तो जिन्हें विभाग उच्च गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण देने का दावा करता है उन्हें ही वंचित रखा जा रहा है।। कुछ दिनों में 2900 पदों पर विज्ञप्ति आ जाएगी जिसमे अगस्त और दिसंबर में इस साल डिप्लोमा पूर्ण होने वाले अभ्यर्थी वंचित रह जाएंगे।कुल 2900 पदों में लगभग 2600 दूसरे राज्यों से deled अभ्यर्थी होंगे।
शिक्षा मंत्री जी से बात रखने जाए तो वे कहते हैं तुम भी कर लेते हरियाणा,मध्य प्रदेश से deled किसने रोका है।
विभाग भी एक साथ इतनी वेकेंसी निकाल कर डायट deled प्रशिक्षुओं का भविष्य खराब करने पर आबरू है।
ऐसी कौन सी मजबूरी विभाग को आन पड़ी है की वह वर्षवार सुव्यवस्थित तरीके से वेकेंसी नही निकाल सकता।
कहीं ये अपने सगे संबंधियों, चेले चाटुकारों को सरकारी नौकरी बांटने का कोर्स महज बनकर तो नही रह गया है।
एक ओर प्राथमिक शिक्षा की श्रेष्ठ गुणवत्ता के लिए राज्य में एक भी प्राइवेट संस्थान नहीं है इसके लिए हजारो हजारों अभ्यर्थियों में से 650 अभ्यर्थियों को एक कड़ा प्रशिक्षण कराया जाता है जिसमें उन्हें दो साल संस्थान में रहना होता है
तो प्राथमिक शिक्षक भर्ती के समय इस कड़े प्रशिक्षण को याद क्यों नहीं रखा जाता अन्य राज्यों से डिप्लोमा प्राप्त आवेदक रोजगार पाते हैं।
अतः यह तो पूर्णतः अन्याय है तथा इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता।
1.क्या उत्तराखंड सरकार को अपने राज्यो के संस्थानों पर भरोसा नही है
2. उत्तराखण्ड डायट से 2 साल का कठिन प्रशिक्षण उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों द्वारा ही सम्पन्न कराया जाता है , क्या सरकार को भरोसा नही है अपनी डायट प्रशिक्षकों पर?
3. 2020-21 बेच दिसम्बर 2024 में प्रशिक्षण पूरा कर लेगा और ऐसे में यदि अभी सारे पदों पर भर्ती निकाल दी जाती है तो हमारे भविष्य का क्या होगा?
4. यदि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए वचनबद्ध है तो फिर वह दूसरे राज्यो से डी एल एड किये हुए लोगो पर अपनी व्यवस्था से तथा अपने राज्य से 2 वर्ष का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किये हुए प्रशिक्षुओं से ज्यादा भरोसा कैसे कर सकती है?
माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे करबद्ध निवेदन है कि राज्य में ये अन्याय न होने दे।
यह उत्तराखंड सरकार के ऊपर एक प्रश्नचिह्न है कि यदि सरकार अपनी व्यवस्था से तैयार किये गए 650 प्रशिक्षुओं का भविष्य अंधकार में जाने से नही बचा सकती तो वह राज्य की जनता के हितों की रक्षा कैसे करेगी।
विभाग कुछ दिनों में 2900 पदों पर वेकेंसी निकलने वाला है, जिस भर्ती में 2500 से अधिक वो अभ्यर्थी लगेंगे जिन्होंने डिप्लोमा दूसरे राज्यों से लिया है।
जबकि 150 अभ्यर्थी(2019-20 batch) अगस्त में और 500 अभ्यर्थी दिसंबर(2020-21batch) में डाइट संस्थानों से deled पूर्ण कर लेंगे। उन्हें इस भर्ती से वंचित रखा जाएगा।पूर्व में विभाग द्वारा आश्वासन भी दिया गया की आप लोगों के साथ अन्याय नही होगा, इसके बावजूद बाहरी राज्यों से deled करने वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जा रही है।।भर्ती को सुनियोजित ढंग से वर्षवार भी निकला जा सकता था किंतु एक साथ इतनी वेकेंसी निकालना ,उस अफवाह को भी मजबूती दे रही है जो वर्तमान में डायट परिसरों में घूम रहा है।
विभाग अगले साल पुनः deled प्रवेश परीक्षा की तैयारी में भी लग रहा है, जबकि उस समय उनके 2 batches नौकरी के लिए आन्दोलन कर रहे होंगे।।
कितनी आश्चर्यजनक बात है की जिस राज्य में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्राइवेट संस्थानों को deled करवाने की अनुमति नही दी गई और वहां खुद के तैयार किए अभ्यर्थियों की कोई सुध नही ले रहा