लोकसभा चुनाव में अभी समय है, लेकिन चुनाव लडने या नहीं लडने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह फिर आमने-सामने हो गए हैं। लोकसभा चुनाव नहीं लडने की प्रीतम की घोषणा पर हरीश रावत ने इशारों में कहा कि किसे क्या करना है, यह निर्णय पार्टी करती है। किसी भी नेता को पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा करने का हक नहीं है। पलटवार करते हुए प्रीतम बोले, हाईकमान के निर्देशों का किसने कितना पालन किया, यह प्रदेश की जनता को पता है। सबको अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।
कांग्रेस के भीतर दिग्गजों के बीच खींचतान समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। खींचतान के केंद्र में लगभग एक वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर होने वाली राजनीति है। प्रदेश की विभिन्न लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए दावेदार सामने आ रहे हैं। ऐसे में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता विधानसभा सीट से छठी बार विधायक प्रीतम सिंह टिहरी लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे से इन्कार कर चुके हैं।
प्रीतम का यह रुख पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नागवार गुजर रहा है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने इशारों में कहा कि किसे क्या करना है, यह पार्टी तय करती है। उन्होंने प्रीतम के रुख को परोक्ष रूप से कार्यकर्त्ताओं के मनोबल से भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरना नहीं चाहिए।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी हरीश रावत की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हरीश रावत बड़े नेता हैं। वह पार्टी के छोटे कार्यकर्ता हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व के आदेशों का कभी उल्लंघन नहीं किया। किसने क्या किया, इस बारे में सबको अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।