मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में बजट के उपयोग के साथ विकास कार्यों की गति तेज होगी। निर्माण परियोजनाओं के लिए अब 10 करोड़ तक प्रस्तावों को विभागीय सचिव, प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव स्वीकृत कर सकेंगे। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित व्यय वित्त समिति (ईएफसी) 10 करोड़ से अधिक के प्रस्तावों पर मुहर लगाएगी।
मंत्रिमंडल ने बीती 18 मई को शासन स्तर पर विभिन्न योजनाओं व परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए ईएफसी के गठन, कार्यक्षेत्र और कार्य प्रक्रिया में संशोधन को स्वीकृति दी थी। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने इन संशोधनों को राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद आदेश जारी किए।
बजट खर्च में तेजी और विकास कार्यों को गति देने की दृष्टि से सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शासनादेश के अनुसार ऐसी समस्त योजनाएं, परियोजनाएं, जिनमें किसी एक इकाई पर एक करोड़ या उससे अधिक का वार्षिक आवर्तक खर्च अथवा 10 करोड़ से अधिक का अनावर्तक खर्च निहित हो, ऐसे प्रस्तावों को अनिवार्य रूप से ईएफसी को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
पहले एक करोड़ के स्थान पर 50 लाख और 10 करोड़ के स्थान पर पांच करोड़ के लिए यह व्यवस्था लागू थी। केंद्रपोषित योजनाओं के अंतर्गत नई परियोजना के लिए भी नई व्यवस्था क्रियान्वित की जाएगी।
अब छह करोड़ से अधिक की परियोजनाओं अथवा 10 करोड़ से अधिक के पुनरीक्षित आगणनों का परीक्षण ईएफसी ही करेगी। ईएफसी की परिधि से बाहर की परियोजनाओं के प्रस्ताव जिनकी लागत एक करोड़ से 10 करोड़ तक हो, उन्हें प्रशासकीय विभाग के सचिव, प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित विभागीय समिति स्वीकृति देगी।
इन प्रस्तावों के परीक्षण के लिए राज्य योजना आयोग के तकनीकी अभियंताओं को अनिवार्य रूप से बुलाया जाएगा। वित्त व नियोजन विभाग परीक्षण के बिंदुओं का समाधान कराएंगे। इससे पहले यह सीमा एक करोड़ से पांच करोड़ तक सीमित थी।