प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ने लगी है। बीते एक सप्ताह से पहाड़ से लेकर मैदान तक का तापमान लगातार चढ़ रहा है। ऐसे में बिजली की मांग में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। एक सप्ताह के भीतर बिजली की मांग पांच मिलियन यूनिट बढ़ गई है। जबकि, उपलब्धता मांग के सापेक्ष न हो पाने से कटौती भी शुरू हो गई है।
ऊर्जा निगम की ओर से बाजार से बिजली खरीद कर आपूर्ति के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में चुनौती और बढ़ने की आशंका है। उत्तराखंड में इस वर्ष पहली बार प्रतिदिन बिजली की मांग 43 मिलियन यूनिट के पार पहुंच गई है। जिसका कारण चढ़ता पारा है। भीषण गर्मी के चलते पंखे, कूलर व एसी का प्रयोग बढ़ने से बिजली खपत में इजाफा हुआ है।
वहीं जल विद्युत परियोजनाओं से अभी पर्याप्त उत्पादन नहीं होने के कारण अन्य स्रोत पर निर्भरता अधिक है। केंद्र से अतिरिक्त बिजली मिलने के बावजूद मांग के सापेक्ष उपलब्धता नहीं है। ऐसे में ग्रामीण और छोटे शहरों में कटौती की जा रही है। एक सप्ताह पूर्व जहां विद्युत मांग 38 मिलियन यूनिट के आसपास थी, वह अब 43 मिलियन यूनिट के पार पहुंच गई है।
आने वाले दिनों में इसके 45 मिलियन यूनिट के पार पहुंचने की आशंका है। जबकि, ऊर्जा निगम की ओर से मई में प्रदेश में बिजली की मांग 50 मिलियन यूनिट को पार करने का अंदेशा जताया जा रहा है। जिससे बिजली संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।
अप्रैल में ऊर्जा निगम को केंद्र सरकार से 332.5 मेगावाट (करीब आठ एमयू) अतिरिक्त बिजली प्रदान की जा रही है। मई के लिए भी केंद्र ने इतनी ही बिजली प्रदान करने की स्वीकृति थी है, लेकिन मांग को देखते हुए यह बिजली नाकाफी प्रतीत हो रही है। जिससे ऊर्जा निगम कटौती का रुख कर रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों पर कटौती की मार बढ़ती मांग और कम उपलब्धता के कारण ग्रामीण और छोटे शहरों में कटौती की जा रही है। हरिद्वार-रुड़की में मंगलौर, लक्सर, ज्वालापुर, भगवानपुर आदि छोटे शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में एक से डेढ़ घंटे की बिजली कटौती की जा रही है। कोटद्वार और ऊधमसिंह नगर में एक से डेढ़ घंटा, प्रदेश के स्टील फर्नेस में चार से पांच घंटे कटौती हो रही है।